मैं ख़्वाबों की दुनिया से भटकता ख़्यालों की दुनिया तक आया,
पर ज़िन्दगी की जुस्तजू पर न कह पाया, न सह पाया।
कुछ क़द बढ़ा तो क़दम बढ़े,
ख़ुशी न बढ़ी पर ग़म बढ़े,
कुछ दूर चला तो पता चला
कि गिरती सीढ़ियों पर कैसे हम चढ़े।
कुछ आस थी, कुछ प्यास थी,
कुछ आह थी कुछ चाह थी,
कि यूँ तो मंज़िलों से भरा था मंज़र,
पर जिस पर हम चले वो राह थी।
सह गया सब काँटों को,
और ज़ंजीरों को मैं तोड़ आया,
पर कुछ दूर चला तो पता चला,
कि ख़ुद को मैं कहीं पीछे छोड़ आया।
जीत के जश्न में इस हार का इज़हार कर रहा हूँ,
मैं न जाने कब से अपना इंतज़ार कर रहा हूँ।
पर ज़िन्दगी की जुस्तजू पर न कह पाया, न सह पाया।
कुछ क़द बढ़ा तो क़दम बढ़े,
ख़ुशी न बढ़ी पर ग़म बढ़े,
कुछ दूर चला तो पता चला
कि गिरती सीढ़ियों पर कैसे हम चढ़े।
कुछ आस थी, कुछ प्यास थी,
कुछ आह थी कुछ चाह थी,
कि यूँ तो मंज़िलों से भरा था मंज़र,
पर जिस पर हम चले वो राह थी।
सह गया सब काँटों को,
और ज़ंजीरों को मैं तोड़ आया,
पर कुछ दूर चला तो पता चला,
कि ख़ुद को मैं कहीं पीछे छोड़ आया।
जीत के जश्न में इस हार का इज़हार कर रहा हूँ,
मैं न जाने कब से अपना इंतज़ार कर रहा हूँ।
Fabulous😎😎😎
ReplyDeleteHmmm. Who are you?? _dusta_???
ReplyDeleteHe he ��
DeleteSo lovely you penned down
ReplyDeleteI fall in love with your words❤❤❤❤
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ReplyDeleteHey! Why did you remove your comment before I even read it???
DeleteU wrote so beaurifully...u don't need any cmmnt..😊😊
DeleteUr words are so deep and heart touching😊😊👌
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