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Sunday, August 28, 2016

ग़ुरूर

Self-Esteem

बस ख़ामोशी ही गूँज रही थी,
वो वादी ही कुछ ऐसी थी।
क्या कहता, क्या बयां करता,
वो बात ही कुछ ऐसी थी।

ये दिल है, कंधा नहीं,
अब और बोझ सह नहीं सकता।
कुछ और पल अब बिन कहे,
मैं रह नहीं सकता।

वो मीत मेरा था,
बेचारा मुश्किल में था रह रहा।
मैंने मदद के लिए हाथ बढ़ाया था,
पर वह समझ बैठा कि मैं हाथ उठा
उसे अलविदा कह रहा।
मुझे लगा कुछ तो ग़लत है,
इक 'ग़लत'फ़हमी ज़रूर है।
पर वो मुँह मोड़कर कहता है,
"देखो! इसे ग़ुरूर है।"

हाँ! हाँ, मुझे ग़ुरूर है!
पर नहीं वो इस शाह-ए-शरीर पर,
जिसे इक दिन ख़ाक़ हो जाना है।
नहीं दौलत-ए-दाय पर,
जिसे फिर यहीं छोड़ जाना है।
नहीं नामो-शोहरत पर,
जो अभी अदना भी नहीं।
नहीं इक ख़्वाब-सी किस्मत पर,
जो कभी मिली ही नहीं।

हाँ, मुझे ग़ुरूर है!
सच तो तुम कभी मानोगे नहीं,
मैं ही हार मानता हूँ।
हाँ, मुझे ग़ुरूर है!
हाँ, मुझे ग़ुरूर है!

बारिश की बूँदें

Rain Drops

ग़ुर्बत की कड़कड़ाती धूप में,
ज्यों हीरे और मोती बरसे।
जैसे होड़ लगी हो नीचे आने की,
ऊपरी कालिमा के डर से।
जैसे किसी ने आसमाँ फ़तह कर,
ख़ुशी के आँसू बहाए हो।
या फिर ऊपर वाले ने ही
कुछ नज़राने बरसाए हो।

आगमन से पहले ही इतनी बुलंदी,
कि डर से छिप गया सूरज बादलों के पीछे।
ढोल बजे, आतिशबाज़ियाँ चलीं,
और सूर्य राज का तख़्तापलट हो गया नीचे।
उधर हल-वाहा की सभी मुश्किलें 'हल' हो गईं,
और माटी के गुलामों के लिए,
बाहर की राह सरल हो गई।

झुर्रियों से भरी ज़मीं की,
अचानक ही जवानी लौट आई।
साथ ही, पेड़-पौधों में भी
इक हरित-क्रांति ले आई।
न जाने ऐसा क्या साथ ले आई
वो बारिश की बूँदे,
कि हर कोई खड़ा है हाथ फैलाए, आँखें मूँदे।
कोई रहमत बरस रही हो
या बख़्शिश की बारिश हो,
ऐसा भी क्या उफान मचा है,
मानो सब पक्की साज़िश हो।

एक मौसम जो खराब था,
एक सनसनाता सन्नाटा जो छाया था।
एक बच्चे की किलकारी जो गूँजी थी,
एक रंगीन लकीर कोई आसमाँ में खींच आया था।
सातों आसमाँ इक-इक रंग ले गए,
मानो बाण चला इंद्र-
धनुष छोड़ चले गए।

मुस्कान

Smile

माथे पर तेरे जब शिकन आती है,
तेरे दुश्मनों को वह खूब भाती है।
पर तेरे दुश्मनों की हिम्मत का होता है अपमान,
जब तेरे चेहरे पर आती है मुस्कान।

दिल जब तेरा दहलता है,
तेरे दुश्मनों का ख़ात्मा टलता है।
पर उन दुश्मनों का नहीं रहता है नामो-निशान,
जब तेरे चेहरे पर आती है मुस्कान।

हाँ! होश जब तेरे उड़ जाते है,
दुश्मन तेरे जीत की ओर मुड़ जाते हैं।
पर वही दुश्मन कर देते हैं अपनी हार का ऐलान,
जब तेरे चेहरे पर आती है मुस्कान।

जानता है, मानता है तू,
दुखों का यह डगर है,
मुश्किल तेरा यह सफर है।
पर यह सफर हो जाता है आसान,
जब तेरे चेहरे पर आती है मुस्कान।
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