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Saturday, January 2, 2016

नया साल

Happy New Year


आज सुबह जब नींद खुली,
पलकें जब अलग हुईं।
तो नज़ारा कुछ बदला बदला-सा था।
साँसों से जब बातें की,
तो इशारा कुछ बदला बदला-सा था।

बच्चों में थी नई चाह,
लोगों में था नया उत्साह।
मुसाफ़िर सुख में ऐसे डूबे थे,
मानो मिल गई हो नई राह।

मैं कमरे में था बंद,
हवाएँ चलती मंद-मंद,
मेरे कानों में कुछ फ़ुसफ़ुसा रही थी,
पर उनकी बात मुझे नहीं समझ आ रही थी।

मैं बेचारा था थोड़ा सहमा, थोड़ा घबराया,
तभी मोबाईल में एक दोस्त का मैसेज आया।
'हर्ष नया है, उत्कर्ष नया है,
अर्श नया है, फ़र्श नया है।
अब तो तुम नए हो जाअो यार,
अब तो भाई ये वर्ष नया है।'

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