उसने हमें कराया था आज़ाद,
लगभग दो सौ वर्ष बाद।
आज भी जब आती है उनकी याद,
तो याद आती है उनकी मुराद।
'आज के इंडिया को भारत बनाना है,
उसे अपना गौरव वापस दिलाना है।'
उनमें तो ख़ैर इतनी शान थी,
पर क्या कोई आज बन पाएगा 'गाँधी'।
हो रहा है अत्याचार, हो रहा है भ्रष्टाचार,
क्यों नहीं रोक पा रही इसे हमारी सरकार।
क्यों नहीं रोक पाती यह इस भेद-भाव को,
क्यों नहीं रोक पाती यह इस दुखों के नाव को।
माँग है यह भारत माता की
पर समझ यह नहीं आता कि
उनमें तो ख़ैर इतनी शान थी,
पर क्या कोई आज बन पाएगा 'गाँधी'।
क्या कोई है जो सह सके इतना कष्ट,
क्या कोई है इतना बड़ा वतन-परस्त।
जिसके रगों में दौड़ता हो खून वतन का,
जो तैयार हो देने को बलिदान तन-मन का।
हमारा मुल्क आज यह हमसे माँग रहा है,
उसने तुमसे भी आज यह कहा है,
उनमें तो ख़ैर इतनी शान थी,
पर क्या तुम बन पाओगे आज के 'गाँधी'।
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